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आ त्वा॒ गोभि॑रिव व्र॒जं गी॒र्भिॠ॑णोम्यद्रिवः । आ स्मा॒ कामं॑ जरि॒तुरा मन॑: पृण ॥

English Transliteration

ā tvā gobhir iva vrajaṁ gīrbhir ṛṇomy adrivaḥ | ā smā kāmaṁ jaritur ā manaḥ pṛṇa ||

Pad Path

आ । त्वा॒ । गोभिः॑ऽइव । व्र॒जम् । गीः॒ऽभिः । ऋ॒णो॒मि॒ । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । आ । स्म॒ । काम॑म् । ज॒रि॒तुः । आ । मनः॑ । पृ॒ण॒ ॥ ८.२४.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:24» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:16» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:6


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - हे इन्द्र (अद्रिवः) हे संसाररक्षक देव ! (गोभिः+इव+व्रजम्) जैसे गोपाल गौओं के साथ गोष्ठ में पहुँचता है, तद्वत् मैं (गीर्भिः) स्तुतियों के साथ (त्वा+आ+ऋणोमि) तेरे निकट पहुँचता हूँ। ईश (जरितुः) मुझ स्तुतिपाठक के (कामम्) कामनाओं को (आ+पृण+स्म) पूर्ण ही कर (आ) और (मनः) मन को भी पूर्ण कर ॥६॥
Connotation: - मन की गति और चेष्टा अनन्त है, अतः इसको भी वही पूर्ण कर सकता है ॥६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्तते।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! गोभिरिव व्रजम्=यथा गोपालो गोभिः सह गोष्ठं गच्छति तद्वत्। हे अद्रिवः=हे संसाररक्षक ! गीर्भिः=स्तुतिभिः सह। त्वा। आ। ऋणोमि=प्राप्नोमि। हे ईश ! जरितुः=स्तुतिपाठकस्य मम। कामम्। मनश्च। आपृण स्म=आपूरयैव ॥६॥